Not known Factual Statements About Shiv chaisa

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दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै॥

श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।

वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देख नाग मुनि मोहे॥

आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥

देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥

कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर। भये प्रसन्न दिए इच्छित वर॥

स्वामी एक है आस तुम्हारी। आय हरहु अब संकट भारी॥

नाथ असुर प्राणी सब पर ही भोले का उपकार हुआ।

शिव भजन

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shiv chalisa in hindi नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥

नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा।

अर्थ- आपके सानिध्य में नंदी व गणेश सागर के बीच खिले कमल के समान दिखाई देते हैं। कार्तिकेय व अन्य गणों की उपस्थिति से आपकी छवि ऐसी बनती है, जिसका वर्णन कोई नहीं कर सकता।

किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी॥

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